Hindi Prayer to connect to your Soul

[English Version] [Marathi Version]

परमात्मा एक असीम प्रकाश का स्रोत हैं, जिसका न कोई आरंभ है और न ही कोई अंत।

सब कुछ परमात्मा से उत्पन्न होता है और अंततः उसमें विलीन हो जाता है।

सब कुछ परमात्मा का ही है।

यह अवतार इस शरीर-मन-बुद्घी में स्थित आत्मा से अनुरोध करता हे कि वह स्वयं को इस शरीर-मन-बुद्धी तक सीमित न रखे और यह साक्षात्कार करे कि वह अनंत है।

अविद्या से ऊपर उठें, माया के भ्रम को तोड़ें ।यह जग मिथ्या है अर्थात यह जग जैसा प्रतीत होता है, वास्तव में उससे अलग है।

यह सत्य जानें कि आप स्वयं ही ब्रह्म हैं अर्थात् परमात्मा हैं। इस माया के रचैता आप स्वयं है। अपनी सच्ची प्रकृति को जानें। अपनी सच्ची प्रकृति को जानते ही यह स्वच्छ पानी की तरह स्पष्ट हो जाएगा कि इस मायाजगत की सभी समस्याएँ और दुःख तुच्छ और नगण्य हैं।

कोई भी कर्म आपको बाँध नहीं सकता। न पाप और न ही पुण्य आपको बाँध सकते हैं। आप स्वयं मे पूर्ण हैं और आपने इस शरीर-मन-बुद्धी को अपनी सृष्टि का अनुभव करने के लिए चुना है।

इसी प्रकार, आपने अपनी सृष्टि का अनुभव करने के लिए असंख्य विभिन्न रूप धारण किए हैं। अतः किसी भी चीज़ से न डरें क्योंकि इसका अर्थ होगा कि आप अपनी ही रचना से डर रहे है।

पूर्ण होने के कारण आप तृप्त एवं कामनारहित है।सब कुछ आपके अधीन है और इसलिए स्वयं को सीमित न करें। सुख, दुःख, क्रोध, घृणा, और पीड़ा अर्थहीन हैं क्योंकि हर जगह केवल आप ही हैं। इस अवतार के अंदर और बाहर हो रही हर चीज़ को विरक्त होके देखें, उसे अपने ऊपर हावी न होने दें।

इच्छामुक्ती इस जन्ममृत्यू के अविरत चक्र से बाहर निकलने का मार्ग है।

यह शरीर, जिसे अवतार कहा जाता है, एक उन्नत स्वचालित वाहन की तरह है जिसका गंतव्य पहले से निर्धारित है ।हालांकि, यह संभव है कि वाहन अपर्याप्त ज्ञान के कारण बहुत लंबा रास्ता ले ले और इस प्रकार वाहन का मालिक देर से गंतव्य पर पहुँचे। इसलिए, समय पर गंतव्य तक पहुँचने के लिए, आवश्यक है कि एक ज्ञानी व्यक्ति वाहन का नियंत्रण संभाले जब भी स्वचालित वाहन मार्ग से भटकने लगे। इसी प्रकार, हे आत्मा, यह शरीर आपका वाहन है। यह शरीर-मन-बुद्धी, जिसे अवतार कहा जाता है, वास्तविकता नहीं है। यह माया के भ्रम से गुजरने के लिए आपके द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक नश्वर उपकरण है। जब भी यह अवतार उस गंतव्य से भटकने लगे जो आपने निर्धारित किया है या आपके मोक्ष के मार्ग से दूर ले जाए, तो आपको इस अवतार का नियंत्रण संभालना चाहिए।

हे आत्मा, स्वतंत्र रूप से अपनी अभिव्यक्ति करें और अपनी ही लीला का आनंद लें!

हे आत्मा, कृपया जानें कि इस अवतार की जागृत और स्वप्न स्थिति मे जो कुछ भी देखा जाता है वह केवल माया का भ्रम है। इसलिए इस अवतार की आँखों और मन को शक्ति दें ताकि वह हर किसीको सन्माननीय और पूजनीय द्रिष्टी से देखे अर्थात हर जगह परमात्मा यानी आपको देख सके। इस तरह एकत्व की द्रिष्टी प्रदान करे।

हे आत्मा, कृपया इस अवतार को आशीर्वाद दें कि वह समझे कि हर कोई परमात्मा, अर्थात् आपके द्वारा निर्देशित कर्म कर रहा है। यद्यपि अन्य लोग कर्म करने वाले प्रतीत होते हैं, सत्य यह है कि वे केवल उन कर्मों के माध्यम हैं। इसलिए, अवतार को दूसरों के कर्मों से दुःखी नहीं होना चाहिए।

इसके बजाय, अवतार को क्षमाशील स्थितियों में क्षमा करना चाहिए और अक्षम्य अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहिए, क्योंकि यह अवतार का कर्तव्य है। लड़ाई अन्यायपूर्ण कर्मों के खिलाफ होनी चाहिए, न कि व्यक्तियों के खिलाफ। अवतार को याद रखना चाहिए कि वह स्वयं केवल कर्मों का माध्यम है, न कि कर्म करने वाला।

हे आत्मा, कृपया किसी भी परिस्थिति से प्रभावित न हों, क्योंकि अतीत में जो कुछ हुआ है, वर्तमान में जो कुछ हो रहा है, और भविष्य में जो कुछ होगा – सब कुछ आपकी अपनी लीला और सृष्टि है।

मुक्ती के लिए आवश्यक है की किसी भी तरह की कोई भी इच्छा ना रहे और अविरत कर्म करते रहे ।

जब आंतरिक शांति शरीर, मन और बुद्धि के अंदर और बाहर सभी घटनाओं के बीच अडिग रहती है, तो मुक्ति का मार्ग आसान हो जाता है।

हे आत्मा, कृपया मन को सभी परिस्थितियों में शांत रहने का आशीर्वाद दें। यदि दूसरों के व्यवहार और शब्दों से मन की शांति में खलल पड़ता है, तो इसका अर्थ है कि शांति का नियंत्रण दूसरों को सौंप दिया गया है, न कि स्वयं मन को।

मन को इस बात से अवगत कराये कि शांति का नियंत्रण और उसकी जिम्मेदारी दूसरों को नहीं दी जानी चाहिए; मन स्वयं शांति का नियंत्रक होना चाहिए।

मन को शांत रखना दुर्बलता नहीं है; कर्म शांत मन से किए जाने चाहिए, मन को इस बात से अवगत कराये।
शांत मन आत्मा को उसके गंतव्य तक तेजी से पहुँचने में मदद करता है, जबकि अशांत मन मुक्ति के मार्ग में विभिन्न बाधाएँ उत्पन्न करता है।

हे आत्मा, कृपया मन को लोकतृष्णा, धनतृष्णा और संततीसुखकी तृष्णा इनसे मुक्त करे।

हे आत्मा, आप इस अवतार के देवता हैं, और यह अवतार अपने कर्मों के माध्यम से आपकी पूजा करता है। यह अवतार आपसे बंधा हुआ है, लेकिन आप इससे नहीं। कृपया इस अवतार को परमात्मा यानी आप में पूर्णतः समर्पित होने का आशीर्वाद दें।

हे आत्मा, कृपया शरीर, मन और बुद्धी को इंद्रियों के सुख, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, भय और ईर्ष्या से बचाएं।

हे आत्मा, कृपया इस शरीर, मन और बुद्धि को लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने का आशीर्वाद दें। कृपया इसे एकाग्रता और सबसे अच्छी स्मृति के साथ आशीर्वाद दें। इसे सभी भूमिकाओं को सफलतापूर्वक निभाने में सक्षम करें।

इसे अपेक्षारहित होके कार्य करने का आशीर्वाद दें।

कर्म एकत्व की दृष्टी से किए जाने चाहिए।

कर्म खुशी से (चेहरे पे हलकी मुस्कान रखके और खुश मन के साथ) किए जाने चाहिए।

कर्म सच्ची भावना के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म सत्य का पालन करते हुए किए जाने चाहिए।

कर्म न्याय की भावना के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म शांति के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म संतोष की भावना के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म अनुशासन के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म स्पष्ट विचारों के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म विनम्रता के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म सक्रियता के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म धैर्य के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म उदारता के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म सम्मान के साथ किए जाने चाहिए।

कर्म कृतज्ञता के साथ किए जाने चाहिए।

हे आत्मा, कृपया इस शरीर, बुद्धि और मन को पूर्णतः स्वस्थ रखे ।

हे आत्मा, कृपया इस अवतार को सही और गलत के बीच अंतर करने का आशीर्वाद दें। अवतार को सही दिशा में मार्गदर्शन करें!

हे आत्मा, कृपया इस अवतार को आशीर्वाद दें ताकि जब भी यह ‘मैं’ कहे, तो समझे कि ‘मैं’ आत्मा यानी परमात्मा को संदर्भित करता है। ‘मैं’ का कोई अन्य अर्थ नहीं है । इसलिए बुद्धी द्वारा बनाये गये ‘मै’ की भावना भ्रम है और उस झूठे अहंकार का तुरंत त्याग करना चाहिए ।

हे आत्मा, कृपया उन सभी आत्माओं से इस अवतार की क्षमा याचना प्रकट करें जो इसके कर्मों या ब्रह्मांड में अन्य प्राणियों के किसी भी कर्मों से पीड़ित हैं और अज्ञानता के कारण माया के चंगुल में फंसे हुए हैं। यह अवतार उनसे क्षमा की प्रार्थना करता है। यह उनके ऊपर से अज्ञानता का पर्दा हटाकर उनकी शांति और मुक्ति के लिए प्रार्थना करता है।

हे आत्मा, यानि परमात्मा, कृपया इस मन और बुद्धि को कृतज्ञता, विनम्रता, और दूसरों के प्रति सम्मान से भर दें ताकि ब्रह्मांड और उसके सभी निवासियों के बीच एकता स्थापित हो सके।

हे आत्मा, कृपया इस अवतार को निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने का आशीर्वाद दें।

हे आत्मा, अपना आशीर्वाद बरसाए ताकि मन अन्य लोगों की खुशी और सफलता मे भी सच्ची प्रसन्नता का अनुभव कर सके।

हे आत्मा, इस अवतार को आशीर्वाद दे जिससे वह सुख और दुःख मे समभाव रख पाए, भावनाओ पर नियंत्रण रख पाए, माया के भ्रम के कारण बुद्धी एवं मन में उत्पन्न होने वाले सभी शत्रूओ जैसे इंद्रियों के सुख, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, भय और ईर्ष्या इनको पराजित कर पाए, एकत्व की दृष्टि से हर जगह परमात्मा को देख पाए और ‘ॐ’ शब्द पर ध्यान स्थिर करके निष्काम कर्मयोग का निरंतर अभ्यास कर पाए। इससे आपको अपने गंतव्य तक पहुँचने में मदद मिलेगी।

हे आत्मा, कृपया अपने आशीर्वाद इस अवतार पर बरसाते रहें और इसे अपने प्रकाश से प्रज्वलित करते रहें!

अहम् ब्रह्मास्मि!